कोविड-19 पैंडमिक ने पृथ्वी की दिशा और इंसानों की दशा बदलकर रख दी. दुनिया ने इससे पहले भी कई एपिडेमिक (Epidemic) देखे हैं लेकिन कोविड-19 वायरस जैसा कुछ पृथ्वीवासियों न सुना था और न ही जिया था. एक वायरस ने दुनिया के सबसे बड़ देशों को घुटनों पर ला दिया और इंसानी जीवन कितना क्षणिक है ये हमने एक बार फिर देखा. जिन देशों की मेडिकल फ़ैसिलिटीज़ (Medical Facilities) की मिसालें पूरी दुनिया में दी जाती थी उनके यहां मरने वालों को दफ़नाने की जगह तक कम पड़ने की ख़बरें आईं.
1. पुणे के ऑटोचालक ने खिलाया रोज़ाना 400 मज़दूरों को खाना
पुणे के अक्षय संजय कोठावले ने लॉकडाउन के दौरान 400 मज़दूरों को खाना खिलाया और उनके ठहरने का इंतज़ाम किया. अक्षय ने शादी के लिए 3 लाख रुपये जोड़े थे लेकिन लोगों की मुश्किलें देखकर उन्होंने उनकी मदद करने की ठानी और 2 लाख ख़र्च कर दिये. लॉकडाउन के दौरान अक्षय ने वरिष्ठ नागरिकों, गर्भवती महिलाओं को मुफ़्त सवारी भी दी.
2. लॉकडाउन में फंसे मदरसे के बच्चों के खाने की व्यवस्था एक गुरुद्वारे ने की
पंजाब के मालेरकोटला स्थित गुरुद्वारा ‘साहिब हा का नारा’ के पास एक मदरसे में अचानक लॉकडाउन लगने से कई बच्चे फंसे थे. इन बच्चों की खाने-पीने की व्यवस्था गुरुद्वारे ने की. लॉकडाउन की घोषणा के बाद कई बच्चों को घर भेज दिया गया था लेकिन 40 बच्चे मदरसे में ही फंस गये थे. गुरुद्वारा कमेटी ने बच्चों को खाना खिलाने की ज़िम्मेदारी ली.
3. मस्जिद में बनाया गया ऑक्सिजन सेन्टर
Makkah Masjid Bhiwandi, Converted into Oxygen Centre, providing free for COVID-19 Patient.
— JIH Maharashtra (@JIHMaharashtra) June 25, 2020
by Jamaat-e-Islami, MPJ, Shanti Nagar trust. @rais_shk @swachh_bhiwandi @sardesairajdeep @BDUTT @sahiljoshii @afrozsahil @kparveen2005 @irenaakbar @AdityaMenon22 @Awhadspeaks @JIHMarkaz pic.twitter.com/hIjSSsl9fr
महाराष्ट्र के भिवंडी पूर्व के शांति नगर इलाके़ के एक मस्जिद में ऑक्सिजन सुविधा से लैस कोविड सेन्टर बनाया गया. मस्जिद से घर तक मुफ़्त ऑक्सिजन सिलेंडर पहुंचाने की भी व्यवस्था की गई.
4. दोस्त की मौत ने झकझोरो, ख़ुद बाइक पर बैठाकर लोगों को क्लीनिक ले जाना शुरू किया
दोस्त मिर्ज़ा की कोविड-19 से मौत के बाद हैदराबाद महेंद्र रेड्डी को गहरी चोट पहुंची. मिर्ज़ा की मौत ठीक समय पर इलाज न होने से हुई. रेड्डी और उसका परिवार भी संक्रमित हुआ लेकिन वक़्त पर इलाज होने की वजह से वो ठीक हो गये. कोविड-19 डर की वजह से दोस्त की मृत्यु के बाद रेड्डी को महसूस हुआ कि बहुत सारे लोग डर की वजह से इलाज नहीं करवा रहे होंगे. इसके बाद रेड्डी ने ख़ुद बाइक पर बैठाकर लोगों को क्लिनक तक छोड़ना शुरू किया.
5. सूरत के व्यापारी ने 42 परिवारों को अपने बिल्डिंग में रहने की जगह दी
कोविड-19 पैंडमिक में प्रवासी मज़दूरों की दशा से हम सभी परिचित हैं. सूरत के बिल्डर प्रकाश भलानी ने अपने एक अपार्टमेंट, बिल्डिंग रुद्राक्ष लेक पैलेस में 42 प्रवासी मज़दूर परिवारों को मुफ़्त में रहने की जगह दी.
6. लॉकडाउन के दौरान खिलाया 6 लाख लोगों को खाना
लॉकडाउन के दौरान श्री चंद्रशेखर गुरु पादुका पीठम और श्री रामायण नवान्निका यज्ञ ट्रस्ट ने 120 दिनों में 6 लाख लोगों को खाना खिलाया. इसके लिए लगभग 2 करोड़ रुपये ख़र्च किये गये. ये कहानी आंध्र प्रदेश के तेनाली की है जहां 15 क्षेत्रों की पहचान की गई जहां तक़रीबन 6 हज़ार लोगों ने अपना रोज़गार खो दिया था.
7. लॉकडाउन में लोगों की मदद के लिए Entrepreneur बन गया डिलीवरी बॉय
इंदौर के हितेश गूंगान Entrepreneur हैं लेकिन लॉकडाउन में वे लोगों के घर-घर जाकर राशन और दवाइयां पहुंचाने का काम करने लगे. 28 मार्च से उन्होंने बिना डिलीवरी चार्ज लिये ज़रूरी सामान घर-घर पहुंचाना शुरू किया. हितेश के पास WhatsApp से ऑर्डर आते और वो सुबह उठकर नियमों का पालन करते हुए काम में लग जाते.
8. कुक की मदद के लिए शुरू किया डिलीवरी सर्विस
बेंगलुरू के अंकित वेंगुलकर ने हाउस हेल्प (House Help) सरोज दीदी के लिए रुपये कमाने का एक ज़रिया दे दिया. सोशल मीडिया और टेक्नॉलॉजी की मदद से अंकित ने सरोज दीदी के लिए डिलीवरी सर्विस शुरू की. सरोज दीदी खाना बनाती और अंकित ऑर्डर, सेल और डिलीवरी मैनेज करते. सरोजी दी की मुस्कुराती तस्वीर को Chef Vikas Khanna, Paytm, Twitter Moments India, Google Pay India ने भी शेयर किया.
9. कोरोना काल में ग़रीब छात्र भी ऑनलाइन क्लास कर सकें इसलिए बच्चे ने नहीं ख़रीदा प्ले स्टेशन
वीडियो गेम्स का शौक़ीन कोच्चि का रहने वाला अली 11वें जन्मदिन पर प्लेस्टेशन (PlayStation) ख़रीदना चाहता था लेकिन उन पैसों को उसने अपने पापा से कहकर ‘Tablet Challenge’ में लगाने को कहा. स्थानीय सांसद द्वारा ऑनलाइन क्लासेज़ लेने में असमर्थ ग़रीब बच्चों के लिए ‘Tablet Challenge’ शुरू किया गया था और इस बच्चे ने उसमें सहायता की.
10. जिन कोविड-19 संक्रमित लोगों को Bed नहीं मिला उनके केस मुफ़्त में लड़ता वक़्त
पैंडमिक के दौरान बहुत सारे अस्पतालों की निर्ममता भी सामने आई. ख़बरो के मुताबिक़ 85% Disability वाली एक महिला को एक अस्पताल ने बिस्तर खाली कर जाने को कह दिया. महिला के पति ने वक़ील हेमंत गुलाटी को बुलाया. हेमंत ने न सिर्फ़ दिल्ली हाईकोर्ट में Writ Petition दायर की बल्कि ये भी कहा कि जिन कोविड-19 संक्रमित लोगों को बेड देने या उपचार से मना किया जा रहा है उनकी वो मुफ़्त में मदद करेंगे.
11. मध्य प्रदेश के आदिवासी परिवारों ने बाग़-बगीचों की फल-सब्ज़ियां ज़रूरतमंदों में बांटी
लॉकडाउन के दौरान कुछ आदिवासी परिवारों ने कई लोगों का ख़्याल रखा. अपने किचन गार्डन की फल-सब्ज़ियां ज़रूरतमंदों को दान करके उन्होंने दूसरों की सहायता की. रिपोर्ट्स के मुताबिक़, मध्य प्रदेश के पन्ना, रीवा, सतना और उमरिया ज़िले के लगभग 232 आदिवासी परिवारों ने 1100 किचन गार्डन्स में उगाई फल-सब्ज़ियां दान कर दी.
12. बस कंडक्टर ने एक महीने की पगार से ख़रीदे 2000 मास्क
तमिलाडु के मदुरई में राज्य परिवहन निगम के एक बस कंडक्टर, वी.करुप्पासामी ने अपनी मई 2020 के पूरे महीने की पगार से 2000 मास्क ख़रीदे और यात्रियों को दिये.
13. एक महिला ने अपनी स्कूटी पर लाइब्रेरी बनाकर गांव-गांव जाकर बच्चों को पढ़ाया
मध्य प्रदेश उषा दुबे नामक एक महिला टीचर ने कोविड-19 पैंडमिक के दौरान बच्चों को शिक्षित करने का निर्णय लिया. स्कूटी पर ही लाइब्रेरी बनाकर ‘किताबों वाली दीदी’ ने साबित कर दिया कि शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए कितने कष्ट उठाते हैं.
14. रेफ़्रिजरेटर ट्रे और डब्बों का इस्तेमाल करके ऑनलाइन क्लास लेती टीचर
कोविड-19 पैंडमिक में स्कूल और कॉलेज में ऑनलाइन क्लास होने लगे. कई टीचर्स को तकनीकी जानकारियां, ऐप्स चलाना आदि सीखना पड़ा. बहुत से टीचर्स ने जुगाड़ लगाया पर बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ा. सोशल मीडिया पर एक ऐसी ही टीचर की तस्वीर सामने आई थी जिसमें वो रेफ़्रिजरेटर ट्रे पर फ़ोन रखकर बच्चों को पढ़ाती नज़र आई.
15. मांगकर गुज़ारा करने वाले ने दान किये 90 हज़ार
मदुरई, तमिलनाडु के Poolpandiyan ने कोविड-19 से लड़ने के लिये स्टेट कोविड19 रिलीफ़ फ़ंड में पहले 10 हज़ार और बाद में 90 हज़ार दान किये. Poolpandiyan मांगकर अपना गुज़ारा चलाते हैं.