रेगिस्तान के बारे में आप बहुत कुछ जानते होंगे, लेकिन आज हम आपको एक अनोखे रेगिस्तान के बारे में बताने जा रहे हैं. इस रेगिस्तान को कुछ लोग नरक का दरवाज़ा कहते हैं तो कुछ कहते हैं कि यहां एलियन आते हैं.
बात हो रही है दक्षिण अफ़्रीका के उत्तरी इलाके में फैले दुनिया के सबसे पुराने रेगिस्तान, Namib Desert (नामीब मरुस्थल) की. यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज़ साइट की लिस्ट में शामिल कर रखा है. इस रेगिस्तान में लाखों गोलाकार आकृतियां बनती हैं, जिनके बारे में कई बातें मशहूर हैं.
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कुछ लोगों का कहना है कि ये देवताओं के पैरों के निशान हैं तो कुछ इसे परियों के नाचने से बने निशान बताते हैं. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यहां पर एलियन आते हैं. वैज्ञानिक भी इन गोलाकार आकृतियों के बनने के रहस्य का पता नहीं लगा पाए हैं.
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तीन देशों में फैला हुआ है
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इस रेगिस्तान का वातावरण बहुत गर्म है. इसलिए यहां कोई नहीं रहता. हालांकि, कुछ जीव और पौधे नामीब मरुस्थल में रहते हैं. इनमें ओरिक्स, हिरणों की प्रजातियां, शुतुरमुर्ग और लकड़बग्घा जैसे जीवों के नाम शामिल हैं. Namib Desert अंगोला से लेकर नामीबिया तक फैला है. यहां पर रेगिस्तान से अटलांटिक महासागर मिलता है. ये लगभग 81000 Sq Km में और तीन देशों में फैला हुआ है.
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दुनिया का सबसे पुराना रेगिस्तान
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5 करोड़ 50 लाख साल पुराने नामीब रेगिस्तान को दुनिया का सबसे पुराना रेगिस्तान माना जाता है. वहीं सहारा रेगिस्तान सिर्फ़ 20 से 70 लाख साल पहले का है. इसलिए इसे दुनिया का सबसे सूखा रेगिस्तान भी कहते हैं. यहां पर अटलांटिक महासागर के तट पर एक ऐसा इलाका है जहां कई पुराने जहाज ख़राब पड़े हैं. कंकालों का भी यहां ढेर लगा. दरअसल, यहां पर अटलांटिक की ठंडी लहरों और नमीब रेगिस्तान की गर्म हवा के मिलने से घना कोहरा बनता है.
नरक का दरवाज़ा
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इसके कारण पानी के जहाज़ों को इसे पार करने में मुशकिल होती थी. इसलिए वो अक्सर दुर्घटना का शिकार हो जाते थे. यहां लगभग 1000 जहाज़ों का मलबा पड़ा है. साथ में इस क्षेत्र में व्हेल मछली के कंकालों की भरमार है. 1486 में पुर्तगाल के मशहूर नाविक डिएगो काओ कुछ समय तक के लिए इस तट पर रुके थे. उन्होंने यहां पर क्रॉस की स्थापना की थी. मगर वो भी यहां ज़्यादा देर तक नहीं रुक पाए थे. यहां से जाते हुए उन्होंने इसे ‘नरक का दरवाज़ा’ नाम दिया था.
मंगल ग्रह जैसी सतह
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रात में यहां काफ़ी तेज़ हवाएं चलती हैं जिसकी वजह से यहां का वातावरण इतना ठंडा हो जाता है कि किसी की भी कुल्फ़ी जम जाए. इन हवाओं के चलते रेगिस्तान में रेत के बड़े-बड़े टीले बनते हैं, जिन्हें ड्यून कहते हैं. लाल रेत के कारण इसकी सतह बिलकुल मंगल ग्रह से मिलती है.
अनोखा आर्ट पीस
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Max Siedentopf नाम के एक जर्मन आर्टिस्ट ने यहां पर 2019 में सोलर पॉवर से चलने वाले स्पीकर लगाए थे. इनमें Toto का सुपरहिट गाना अफ़्रीका प्ले होता है, जो कहां से संचालित होता है इसकी जानकारी गुप्त है.
इस रेगिस्तान के बारे में जानते हैं थे आप?