Indian Bowler Ravi Bishnoi Success Story In Hindi: एशियाई गेम्स 2023 (Asian Games 2023) में भारत नेपाल (India Vs Nepal) क्रिकेट टीम को 23 रनों से हराकर Semi-Finals मैच में पहुंच गई है. 3 अक्टूबर को भारत और नेपाल के बीच हुए क्वार्टर-फाइनल मैच में नेपाल ने 203 का शानदार टारगेट सेट किया था. लेकिन भारत के कमाल के बल्लेबाज़ों और गेंदबाज़ों की बदौलत आज भारत ये मैच जीत गई. इस मैच में एक स्टार प्लेयर रवि बिश्नोई (Ravi Bishnoi) ने भी कमाल का प्रदर्शन किया था. चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको उनके प्रेरणादायक कहानी का परिचय देते हैं.

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जानिए भारतीय क्रिकेट गेंदबाज़ रवि बिश्नोई की प्रेरणादायक कहानी (Ravi Bishnoi Bowler Success Story)-

Asian Games 2023 में भारत और नेपाल के क्रिकेट मैच में रवि बिश्नोई ने 3 विकेट लेकर भारत को जीत की ओर पहुंचाया था. जोधपुर (राजस्थान) से आने वाले 23 वर्षीय रवि ने बहुत ही कम उम्र में बहुत कुछ हासिल कर लिया है. आज उनकी मौजूदगी टीम में बहुत अहम है. अपनी कमाल की बोलिंग तकनीक से सामने वाली टीम के छक्के छुड़ाने वाले रवि बिश्नोई का इतने बड़े मुक़ाम तक पहुंचने का सफ़र आसान नहीं रहा है.

Match History Of Ravi Bishnoi In Hindi: रवि का जन्म 5 सितंबर 2000 को जोधपुर (राजस्थान) में हुआ था. उनका टीम में रोल प्ले गेंदबाज़ी है और उनका गेंदबाज़ी स्टाइल लेगब्रेक गुगली है. वहीं रवि ने अपना पहला T20 मैच 2019 और डेब्यू T20I मैच 2022 में खेला था. इसी वर्ष में रवि ने भारत के और से भी खेलना शुरू किया था.

रवि बिश्नोई ने खुद इंटरव्यू में ये बात बताई थी कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हुआ करती थी. इसीलिए उन्होंने मज़दूरी करके खुद का क्रिकेट खलेने के लिए मैदान बना लिया. उन्होंने बताया, “हमारी ज़मीन चट्टानों से भरी बंजर ज़मीन का एक टुकड़ा मात्र हुआ करती थी. हमने उन चट्टानों को खुद ही साफ़ किया, क्योंकि उस समय हम JCB ट्रक का खर्च नहीं उठा सकते थे. फिर हमने खुद मैदान पर घास लगाई, विकेट के लिए ज़रूरी लाल मिट्टी, ईंट, पत्थर भी हमने मंगवाई, और हमने खेल की ज़मीन को भी लेवेल में किया”. उन्होंने अपने इस एकेडमी का नाम ‘Spartan Cricket Academy’ रखा था.

लेकिन उनकी समस्याएं वहीं खत्म नहीं हुई. रवि के घर से एकेडमी बहुत दूर थी, उन्होंने बताया, “मेरी एकेडमी मेरे घर से लगभग 20 किलोमीटर दूर थी. इसलिए मेरे कोच ने मुझे एक साइकिल गिफ़्ट में दी. जिसका इस्तेमाल मैं दिन में दो बार अपने आने-जाने के लिए करता था.” लेकिन इन सारी मुसीबतों के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

अपने सपनों के लिए इतनी मेहनत की वजह से ही आज रवि इतने कामयाब हैं.

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