ICC Under-19 Women’s T20 World Cup 2023: दक्षिण अफ़्रीका में आयोजित ‘आईसीसी अंडर-19 महिला T-20 वर्ल्ड कप’ भारत ने अपने नाम कर है. भारतीय महिला टीम ने फ़ाइनल में इंग्लैंड को 7 विकेट से हराकर पहला महिला अंडर-19 T-20 वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच दिया है. भारतीय खिलाड़ियों (Indian Cricketer) ने पूरे टूर्नामेंट में अपने शानदार प्रदर्शन से दर्शकों का ख़ूब मनोरंजन किया. लेकिन ये ‘वर्ल्ड कप’ कई युवा भारतीय क्रिकेटरों के लिए अपनी मेहनत से किस्मत बदलने ज़रिया भी बना है. इन्हीं में से एक नाम अर्चना देवी (Archana Devi) का भी है.
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आईसीसी महिला अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप में भारत को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली अर्चना देवी ऑलराउंडर हैं. अर्चना ने फ़ाइनल में इंग्लैंड के Grace Scrivens और Niamh Howland के महत्वपूर्ण विकेट चटकाये. इसके अलावा शॉर्ट कवर्स में इंग्लैंड की टॉप रन स्कोरर Ryana Macdonald का शानदार कैच लपककर अर्चना फ़ेमस हो गयीं. इस वर्ल्ड कप में वो अपनी शानदार बॉलिंग और फ़ील्डिंग से टीम के लिए काफ़ी किफ़ायती साबित हुईं. अर्चना ने अपनी स्पिन गेंदबाज़ी से 7 मैचों में 13.12 की शानदार औसत से 8 विकेट झटके.
कौन हैं क्रिकेटर अर्चना देवी?
यूपी के उन्नाव ज़िले से गांव रतई पूरवा की रहने वाली अर्चना देवी (Archana Devi) की सफ़लता की कहानी बेहद प्रेरणादायक है. बेहद ग़रीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली अर्चना आज भारत की शान बन चुकी हैं. उन्नाव के रतई पूरवा गांव से निकलकर भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए उन्होंने कड़ा संघर्ष किया है. इस मुकाम तक पहुंचने कड़ी मेहनत ही नहीं कुछ कर गुजरने का जज़्बा भी चाहिए होता है, जो अर्चना के पास है.
गांव के लोग मां को बुलाते थे ‘डायन’
अर्चना देवी (Archana Devi) के क्रिकेटर बनने के पीछे उनकी मां सावित्री देवी ने कड़ी तपस्या की है. इसके लिए उन्होंने हर मोड़ पर समाज की आलोचनाएं झेली. सावित्री ने देवी ने पहले कैंसर के कारण पति को फिर सांप के काटने से अपने बेटे को खो दिया था. इस कारण गांव के लोग उन्हें ‘डायन’ बुलाते थे. गांव के लोग सावित्री को देखते ही अपना रास्ता बदल लेते थे. उनके घर को ‘डायन का घर’ तक कहा जाता था.
पति की मौत के बाद सावित्री देवी पर 3 बच्चों की ज़िम्मेदारी के साथ-साथ काफ़ी लोन भी था. बच्चे छोटे थे इसलिए परिवार का पेट पालने के लिए दूसरों के खेतों में मज़दूरी करने लगीं. गाय का दूध बेचकर जब अर्चना को पढ़ाई के लिए घर से दूर गंज मुरादाबाद के ‘कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय हॉस्टल’ भेजा तो रिश्तेदारों ने सावित्री पर बेटी को ग़लत काम के लिए बेचने का आरोप लगाया. लेकिन इतना सब कुछ होने के बावजूद सावित्री ने हिम्मत नहीं हारी और अकेले ही अपनी बेटी को इस काबिल बनाया कि वो आज पूरी दुनिया में मशहूर हो गई.
अर्चना देवी की ज़िंदगी बेहद उतार-चढ़ाव वाली रही है. पिता को बेहद कम उम्र में खोने के बाद साल 2017 छोटे भाई की भी मौत हो गई थी. ये वही साल था, जब अर्चना ने पहली बार मैदान पर कदम रखा था. हॉस्टल टाइम के दौरान जब अर्चना को क्रिकेट से लगाव होने लगा तो उन्होंने क्रिकेटर बनने का फ़ैसला किया. अर्चना की किस्मत अच्छी थी कि स्कूल में आयोजित एक दौड़ में सेकंड आने पर पूनम गुप्ता की नज़र उन पर पड़ी. इसके बाद पूनम उन्हें क्रिकेटर बनाने के लिए कानपुर ले ले गयीं.
भारतीय क्रिकेटर कुलदीप यादव बने फ़रिश्ता
पूनम गुप्ता ने कानपुर में अर्चना देवी की मुलाक़ात भारतीय क्रिकेटर कुलदीप यादव के कोच रहे कपिल पांडे से कराई. अर्चना के टैलेंट को देख कपिल उन्हें फ़्री कोचिंग देने के अलावा अपने दोस्तों की मदद से Kanpur Cricket Association से डेली राशन दिलाने की मदद भी की. इसके बाद जब कपिल ने कुलदीप यादव से अर्चना के लिए मदद मांगी, तो उन्होंने अर्चना को ट्रेनिंग अर्चना को हर तरह की फ़ैसेलिटी दे फ़ैसला किया. यूपी के लिए अंडर 15-16 क्रिकेट खेल चुकी अर्चना को जूनियर लेवल पर शानदार प्रदर्शन के बाद ही भारत की अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम में जगह मिली था.
अर्चना देवी की मां सावित्री देवी आज भी अपने बड़े बेटे के साथ एक कमरे के छप्पर वाले घर में रहती हैं. घर में बिजली नहीं है इसलिए अर्चना का फ़ाइनल मैच देखने के लिए पैसे जोड़कर इन्वर्टर खरीदना चाहती थीं. लेकिन ये काम भी नहीं हो पाया. इसलिए स्मार्टफ़ोन पर ऑनलाइन मैच देखना पड़ा, जिसे अर्चना ने ही वर्ल्ड कप के लिए रवाना होने से पहले उन्हें गिफ़्ट किया था. अर्चना जिस दिन महिला अंडर-19 टी20 वर्ल्ड कप फ़ाइनल खेल रही थी, तब उनके घर रिश्तेदारों का तांता लगा हुआ था. जो पड़ोसी पहले उनके घर का एक गिलास पानी भी नहीं पीते थे, वो अब मदद के लिए आगे आ रहे हैं.
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