Success Story of Kuldeep Sen in Hindi: किसी ने बहुत सही बात कही है कि, “आपका सोचना बेकार जा सकता है, आपकी योजनाएं बेकार जा सकती हैं, लेकिन आपकी कड़ी मेहनत कभी बेकार नहीं जा सकती है, वो किसी न किसी एक दिन जीवन में रंग ज़रूर लाती है.” कुछ ऐसी ही कहानी इंडियन क्रिकेट प्लेयर कुलदीप सेन की है, जिनका जीवन का एक लंबा समय आर्थिक तंगी में बिताया. पिता सलून चलाते हैं, लेकिन कुलदीप ने कुछ बड़ा सोच रखा था और वो अपनी सच्ची लगन के साथ कड़ी मेहनत करते रहे. आज वो इंडियन टीम का हिस्सा हैं.
आइये, इस ख़ास लेख में विस्तार से जानते हैं भारतीय क्रिकेट प्लेयर कुलदीप सेन (Success Story of Kuldeep Sen in Hindi) की संघर्ष भरी कहानी.
पिता हेयर सेलून चलाते थे
Success Story of Kuldeep Sen in Hindi: कुलदीप सेन मध्यप्रदेश के छोटे से गांव हरिहरपुर (रीवा) के रहने वाले हैं. उनका जन्म भले एक ग़रीब परिवार में हुआ, लेकिन उनके सपने बड़े थे. वो बचपन से ही क्रिकेटर बनना चाहते थे. लेकिन, परिवार की आर्थिक हालात ठीक नहीं थे. उनके पिता हेयर सैलून में काम करते थे.
जो भी पैसा मिलता वो घर के ख़र्च में ही उठ जाता था. ऐसे में कुलदीप के लिए अच्छी शिक्षा और सपनों को पूरा करने के लिए शुरुआती संसाधनों की कमी थी.
फटे मोज़ों की गेंद बनाकर प्रैक्टिस
Success Story of Kuldeep Sen in Hindi: 8 साल की उम्र से ही कुलदीप सेन ने खेलना शुरू कर दिया था. वो पहले बल्लेबाज़ बनना चाहते थे, लेकिन कोच के कहने पर उन्होंने गेंदबाज़ी की तरफ़ कदम बढ़ाया. जानकारी के अनुसार, उनके पास गेंद ख़रीदने तक के पैसे नहीं थे, इसलिए वो फटे मोज़ों की गेंद बनाकर प्रैक्टिस किया करते थे. वहीं, कपड़े धोने वाली मोगरी को बैट बना लिया करते थे. लेकिन, उन्होंने अपनी परिस्थिति से हार नहीं मानी और निरंतर अभ्यास करते रहे. वो अपने गांव के फ़ास्ट बोलर बन गए. जल्द ही उनका सिलेक्शन डिस्ट्रिक्ट लेवल के टूर्नामेंट के लिए हो गया, लेकिन इसके लिए उन्हें दूसरे शहर जाना था. उनके पास पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने मां से 500 रुपए मांगे. तब तक उनके पिता को पता नहीं था कि बेटा क्रिकेटर बनना चाहता है. मां ने कुलदीप के पिता से पैसे देने के लिए कहा.
पिता ने पहले अच्छी डांट लगाई और जेब से पैसे निकालकर कहा कि जीत कर आना.
कोच ने दी फ़्री ट्रेनिंग
Kuldeep Sen Story in Hindi: कुलदीप जैसे-जैसे अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे, उनके ख़र्चे भी बढ़ रहे थे. उनके दोस्तों और करीबियों ने उनकी काफ़ी मदद की. जब वो कोचिंग लेने के लिए गए, तो उनके पास फ़ीस के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन कोच एरिल एंथनी ने उन्हें फ़्री में क्रिकेट कोचिंग दी.
कुलदीप के पास जूते भी नहीं थे. जानकर हैरानी होगी कि क्रिकेटर ईश्वर पांड ने अपने स्पाइक्स दिए. कुलदीप का जुनून ऐसा था कि वो रोज़ 12 किमी साइकल चलाकर प्रैक्टिस के लिए रीवा स्टेडियम आते थे.
कोरोना के समय रुक गई थी प्रैक्टिस
कोरोना के समय कुलदीप की प्रैक्टिस रुक गई थी, टूर्नामेंट बंद हो गए और घर में आर्थिक तंगी बढ़ रही थी. ऐसे में कुलदीप के मन में ख़्याल आया कि वो क्रिकेट छोड़ दें, लेकिन उनके कोच ने उन्हें हिम्मत दी और अपने से ही प्रैक्टिस जारी रखने के लिए कहा.
राजस्थान टीम में हुआ सिलेक्शन
Success Story of Kuldeep Sen in Hindi: कुलदीप की मेहनत रंग लाई और वो दिन आ गया जब उन्हें बड़े स्तर पर खेलने का मौक़ा मिला. आईपीएल के लिए Rajasthan Royals ने कुलदीप सेन को 20 लाख में ख़रीदा. आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन की वजह से उन्होंने भारतीय टीम में भी जगह बनाई और अपना ODI डेब्यू बाग्लादेश के खिलाफ़ किया. इस मैच में कुलदीप ने 30 गेंदों में 37 रन दिए और 2 विकेट चटकाई. अपना शानदार प्रदर्शन दिखाकर कुलदीप ने साबित कर दिया कि उनमें भी प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है. एक छोटे से गांव के निकलकर और एक बड़ा मुकाम हासिल करना उनके लिए काफ़ी चुनौतीपूर्ण रहा.
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