10 दिसंबर को दुनिया मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाती है. आज ही के दिन 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने सर्वराष्ट्रीय मानव अधिकार घोषणापत्र (Universal Declaration of Human Rights) को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया था. इसमें कोई दोराय नहीं है कि सभी देशों ने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए इस घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि आज भी मानवाधिकारों का हनन हो रहा है. कई मामलों में तो एक इंसान दूसरे इंसान के मानवाधिकारों का हनन करता है. Times of India की एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल से सितंबर 2020 के बीच एनएचआरसी(नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन) के पास मानवाधिकार हनन के 32,876 मामले दर्ज किए गए. 


कई बार एक देश की सरकार अपने नागरिकों के ही मानवाधिकारों का सम्मान नहीं करती. नागरिकों के रक्षा के लिए बनाए गए क़ानूनों को सरकार नागरिकों को ही जेल में डालने के लिए इस्तेमाल करती है और इन मामलों की महीनों तक सुनवाई भी नहीं होती. 

भारी मन से आज हम नज़र डालेंगे 2020 की कुछ घटनाओं पर जब भारत सरकार ने अपने ही नागरिकों के मानवाधिकार को ताक पर रख दिया- 

1. लॉकडाउन की वजह से मीलों चलने को मजबूर हुए मज़दूर 

Quartz

कोविड-19 पैंडमिक की वजह से भारत सरकार ने पूर्ण लॉकडाउन लगा दिया. इस वजह से काम-काज ठप्प पड़ गए. लॉकडाउन की वजह से सबसे ज़्यादा वो मज़दूर परेशान हुए जिनकी नौकरी गई, घर चला गया. इन मज़दूरों के लिए सरकार ने ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था देर से की, मज़दूरों को मजबूरन पैदल ही हज़ारों किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी. पैदल घर जा रहे मज़दूर, ट्रेन एक्सीडेंट, रोड एक्सीडेंट का शिकार हुए. सरकार को मज़दूरों की कितनी चिंता है वो तो इसी बात से साबित हो गया जब उन्होंने मज़दूरों की मौत पर कहा, ‘डेटा नहीं है’.

2. हाथरस रेप पीड़िता के परिवार को नहीं करने दिया गया उसका अंतिम संस्कार  

DNA India

उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़िता पर जो राजनीति हुई उसे पूरी दुनिया ने देखा. सवर्णों ने हाथरस की एक दलित लड़की के साथ गैंगरेप किया. उत्तर प्रदेश पुलिस ने, कुछ नेताओं ने और सवर्ण समाज के लोगों ने इस घटना पर बेहद घटिया टिप्पणियां की. बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस ने रात के अंधेरे में पत्रकारों की नज़रों से छिपते हुए पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया. रोते-कलपते परिवार को पुलिस ने अंतिम संस्कार के स्थान से दूर रखा. पत्रकारों के साथ बदसुलूकी के भी कई वीडियोज़ सामने आए.

3. जयराज और बेनिक्स की पुलिस कस्टडी में मौत   

The Indian Express

Thoothukudi के साथानकुलम के जयराज और बेनिक्स की मौत पुलिस कस्टडी में हुई. जयराज का क़ुसूर था कि उन्होंने अपनी दुकान रात के 9 बजे बाद तक खोलकर रखी और बेनिक्स का क़ुसूर था कि वो अपने पिता के पीछे थाने पहुंचे थे. तमिलनाडु पुलिस ने दोनों बाप-बेटे के घुटने फोड़ दिए, एनल रेप किया, प्राइवेट पार्ट्स को ज़ख़्मी किया और इसके बाद सरकारी डॉक्टर ने उन्हें गिरफ़्तारी के लिए फ़िट पाया, मेजिस्ट्रेट ने भी दोनों को कस्टडी में रखने का हुक़्म दिया, हुक़्म की तामील हुई और दोनों की मौत हो गई.   

4. पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ता और एक्टिविस्ट्स की गिरफ़्तारी

The Indian Express

केन्द्र सरकार ने यूएपीए और एनएसए के तहत कई कश्मीरी पत्रकारों (मसरत ज़रहा, गौहर गिलानी), सामाजिक कार्यकर्ताओं और एक्टिविस्ट्स को गिरफ़्तार किया है. 2018 में भीमा-कोरेगांव घटना में हुई हिंसा से जुड़े होने के शक में सरकार ने 79 वर्षीय कवि वारावारा राव को गिरफ़्तार किया, कोविड होने के बावजूद राव को ज़मानत नहीं दी गई. इसके अलावा भीमा कोरेगांव मामले में वक़ील सुधा भारद्वाज और सुरेंद्र गडलिंग, वक़ील और लेखक अरुण फ़रेरा, एक्टिविस्ट गौतम नवलखा, वर्नन गोन्ज़ालवेज़, डीयू प्रोफ़ेसर हानी बाबू और कबीर कला मंच के कुछ एक्टिविस्टस भी गिरफ़्तार किये गए हैं. यूएपीए लगाकर एक्टिविस्ट स्टैन स्वामी को भी गिरफ़्तार किया गया है. स्वामी Parkinson’s Disease से पीड़ित है और कोर्ट ने उनकी Sipper (पानी पीने के लिए) की मांग भी ठुकरा दी है. दिल्ली पुलिस ने यूएपीए और अन्य धाराएं लगाकर दिल्ली हिंसा में शामिल होने के शक़ में उमर ख़ालिद को भी गिरफ़्तार किया है. 

5. रिया चक्रवर्ती का मीडिया ट्रायल

Feminism In India

एक तस्वीर ही काफ़ी है ये बताने के लिए. रिया चक्रवर्ती पर ड्रग्स लेने, रखने का आरोप था लेकिन मीडिया ने उनकी छवि कुछ इस तरह पेश की जिसकी भरपाई कभी नहीं हो पाएगी. रिया के पार्टनर सुशांत सिंह राजपूत ने ख़ुदकुशी कर ली थी और रिया पर तमाम तरह के आरोप, लांछन लगाए गए. बड़े-बड़े मीडिया चैनल्स ने उन्हें डायन, काला जादू करने वाली तक कह डाला.  

6. तीन कृषि क़ानूनों पर किसानों का विरोध और उस पर सरकार का रवैया

Money Control

भारत सरकार तीन कृषि क़ानून लेकर आई है, जिसे किसान कृषि विरोधी बता रहे हैं. किसान सरकार पर क़ानून वापस लेने का दबाव बना रही है और इसलिए लाखों किसान दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हैं. जब ये किसान दिल्ली के लिए निकल रहे थे तो हरियाणा पुलिस, पंजाब पुलिस और दिल्ली पुलिस ने इन पर वॉटर कैनन चलाए, लाठियां बरसाईं, आंसू गैस के गोले छोड़े. दिल्ली पुलिस ने किसानों को जेल में डालने के लिए दिल्ली सरकार से स्टेडियम को जेल में बदलने की अर्ज़ी तक दे डाली. केन्द्र सरकार से जुड़े मंत्री, बीजेपी के मंत्री किसानों को खालिस्तानी, भड़काए गए, भ्रमित, विपक्ष की साज़िश का हिस्सा आदि कह चुके हैं. कुछ किसान तो कैमरे पर ये भी कह चुके हैं कि हमने मोदी को वोट दिया था और आज वो ही नहीं सुन रहा. 

7. बीएमसी द्वारा कंगना का बंगला तोड़ा गया

The Tribune

कंगना सिर्फ़ फ़िल्मों के लिए ही नहीं तेज़-तर्रार और तीखी टिप्पणियों के लिए भी मशहूर हैं. कंगना ने महाराष्ट्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार से जुड़े नेताओं पर भी टिप्पणी की थी. कंगना ने ट्वीट्स और वीडियोज़ द्वारा काफ़ी कुछ कहा था. इसके बदले में बीएमसी ने कंगना का बंगला तोड़ दिया. इस पूरे मामले पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी बीएमसी को फ़टकार लगाई थी और कहा था कि किसी की बातों का जवाब Muscle Power से देना ठीक नहीं.  

8. रज़ामंदी होने के बावजूद हिंदू-मुस्लिम जोड़े को शादी करने से रोका गया

Rojgar Samachar

‘सिर्फ़ शादी के लिए धर्म परिवर्तन’, लव जिहाद रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ऐंटी लव जिहाद क़ानून लेकर आई है. इस क़ानून के आने के बाद से ही उत्तर प्रदेश में मुस्लिम युवकों के गिरफ़्तारी के कई मामले सामने आ चुके हैं. 1-2 मामले ऐसे भी आए हैं जहां दोनों परिवार भी शादी के लिए राज़ी थे लेकिन किसी ने शिकायत दर्ज करवा दी और गिरफ़्तारियां हुईं. 

9. कोविड वॉरियर्स को नहीं दी गई पगार

Jansatta
ANI
NDTV

देशभर में ऐसे कई मामले सामने आए जहां डॉक्टर्स, नर्स, सफ़ाईकर्मियों को महीनों तक सैलरी नहीं दी गई. पैंडमिक में जहां कोविड वॉरियर्स अपनी जान की परवाह किए बग़ैर हमारी सुरक्षा के लिए तैनात थे, हमारी जान बचा रहे हैं तब भी सरकार उन्हें सैलरी तक नहीं दे रही. सरकारी और ग़ैर-सरकारी दोनों ही अस्पतालों से ऐसे मामले आए. वॉरियर्स ने स्ट्राइक भी की. कहीं-कहीं तो वॉरियर्स पर पुलिस के डंडे भी चलवा दिए गए. एक तरफ़ जहां दूसरे देश कोविड वॉरियर्स की सैलरी बढ़ा रहे हैं वहीं हमारे यहां उनके साथ ऐसा सुलूक हो रहा है.  

10. गर्भवती सफ़ूरा ज़रगर की गिरफ़्तारी

The Indian Express

जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्रा, सफ़ूरा ज़रगर को दिल्ली हिंसा भड़काने के मामले में दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया गया. जेल में पता चला कि वो गर्भवती हैं, इसके बावजूद ज़रगर को 3 महीने बाद मानवीय आधार पर ज़मानत दी गई. ज़रगर पर सोशल मीडिया पर कीचड़ उछाला गया. फ़ोटोशॉप की हुई तस्वीरें, गंदे जोक्स और यहां तक कि उनका फ़ेक पॉर्न भी शेयर किया.   

11. कश्मीर समेत कई इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या    

Open Democracy

पैंडमिक की वजह से स्कूल, कॉलेज ऑनलाइन क्लास करवाने लगे. ज़्यादातर दफ़्तरों ने भी वर्क फ़्रॉम होम दे दिया. ऐसे में जो सबसे बड़ी समस्या सामने आई वो थी इंटरनेट कनेक्टिविटी की. पहाड़ पर कुर्सी लगाकर, छत पर चढ़कर पढ़ाई करते बच्चों की पढ़ाई के प्रति लगन सबको दिखी, चश्मा साफ़ करके देखने पर सरकार की विफ़लता दिखी. कश्मीर को विकसित करने की होड़ में सरकार ने वहां 3जी-4जी कनेक्टिविटी दी ही नहीं है. एक बार को सोचकर देखिए कश्मीर समेत कई राज्यों के बच्चों ने किस तरह पढ़ाई कर रहे होंगे.

फ़ोन और लैपटॉप न होने की वजह से ऑनलाइन क्लास न कर पाने वाले कई छात्रों ने ख़ुदकुशी जैसा क़दम भी उठा लिया. 

ये थे कुछ केस जब हमारी सरकार ने अपने ही नागरिकों से बैर ले लिया. हम बस उम्मीद कर सकते हैं कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न घटें.