Mithali Raj Journey To Cricket: इंडियन क्रिकेट फै़ंस के लिए 8 जून का दिन बेहद निराशाजनक रहा. ऐसा इसलिए क्योंकि, भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज (Mithali Raj) ने क्रिकेट के सभी फ़ॉर्मेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है. अब क्रिकेट लवर्स मिताली को क्रिकेट स्टेडियम में शानदार छक्के और चौके जड़ते हुए नहीं देख पाएंगे. उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट का सचिन तेंदुलकर भी कहा जाता है. वो एकमात्र ऐसी महिला ख़िलाड़ी हैं, जिन्होंने ऐसे कई रिकॉर्ड्स बनाए हैं, जिनको भावी क्रिकेटर्स के लिए तोड़ पाना बेहद मुश्किल होगा. आज मिताली को किसी इंट्रोडक्शन की ज़रूरत नहीं है. उनकी कैप्टेंसी में इंडियन टीम दो बार वर्ल्ड कप का भी सफ़र तय कर चुकी है.
हालांकि, मिताली की शानदार पारियों और उनके क्रिकेट करियर के अचीवमेंट्स के बारे में तो हर कोई जानता है. किसी से इस टैलेंटेड स्पोर्ट्सवुमन का ज़िक्र भी कर लो, तो वो उनके बनाए गए रिकॉर्ड्स के बखान करने बैठ जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस खेल में उन्होंने अपना नाम इतना ऊंचा किया, उस खेल में तो वो अपना करियर बनाना भी नहीं चाहती थीं? जी हां, आज हम आपको बताएंगे कि कैसे मिताली की एंट्री क्रिकेट फ़ील्ड में हुई थी.
Mithali Raj Journey To Cricket
बचपन में काफ़ी आलसी थीं मिताली राज
मिताली जब 8 साल की थीं, तब वो बेहद आलसी थीं. अगर उस दौरान नींद को उनका पहला प्यार कह दिया जाए, तो बिल्कुल भी ग़लत नहीं होगा. लेकिन उनके पिता को उनकी ये आदत बिल्कुल पसंद नहीं थी. मिताली के बड़े भाई भी क्रिकेटर हैं. जब उनके बड़े भाई क्रिकेट की कोचिंग ले रहे होते थे, तब मिताली के पापा उन्हें भी जबरन खेलने के लिए क्रिकेट फ़ील्ड भेज दिया करते थे. इस वजह से मिताली सिकंदराबाद की सेंट जॉन्स क्रिकेट एकेडमी में ही अपना होमवर्क पूरा किया करती थीं. ये उनकी सज़ा नहीं थी. ये एक एक्सरसाइज़ थी, ताकि वो अपने आलसपन को दूर कर सकें. (Mithali Raj Journey To Cricket)
बोर होने के चलते मिताली भी क्रिकेट में आज़मा लेती थीं हाथ
मिताली को बचपन से ही भरतनाट्यम का शौक था. इस वजह से होमवर्क पूरा करने के बाद मिताली को वहां काफ़ी बोरियत होने लगती थी. जिसके बाद वो कुछ गेंदे उठाकर उन्हें बहुत दूर हिट किया करती थीं. कहते हैं कि हीरे की परख जौहरी को ही होती है और मिताली जैसे हीरे को परखने वाले और कोई नहीं बल्कि क्रिकेटर ज्योति प्रसाद थे. ज्योति प्रसाद ने उनमें उनकी बैटिंग स्टाइल, तेज़ मूवमेंट्स और बॉल को हिट करने का नायाब तरीक़ा नोटिस किया, जिसके बाद उन्हें लगा कि इस लड़की में कुछ क़माल कर दिखाने का दम है. नींद के लिए मिताली के पहले प्यार से लेकर क्रिकेट के उनके शाश्वत प्रेम तक, हमें यक़ीन है कि ज्योति प्रसाद ने भी नहीं सोचा होगा कि वह क्रिकेट खेलने के लिए सबसे महान बल्लेबाज मिताली राज का पोषण कर रहे हैं. (Mithali Raj Journey To Cricket)
मिताली राज क्रिकेट प्रैक्टिस के साथ करती थीं डांस की भी प्रैक्टिस
साल 1992 में हैदराबाद के सेंट जॉन स्कूल में लगे कोचिंग कैंप में मिताली राज वहीं थीं. उस दौरान ज्योति प्रसाद क्रिकेट से संन्यास ले चुके थे और पहली बार नेट्स में गेंदबाज़ी कर रहे थे. उनके सामने मिताली राज थीं, जो ज्योति जैसे दिग्गज क्रिकेटर की गेंदों को बखूबी खेल रही थीं. उसी दौरान ज्योति प्रसाद को एहसास हो गया था कि इस बच्ची का क्रिकेट में काफ़ी ब्राइट फ़्यूचर है. उन्होंने मिताली को क्रिकेट की रेगुलर ट्रेनिंग देने की सलाह दी. मिताली राज के पिता तो ये चाहते ही थे. क्रिकेट की ट्रेनिंग के बीच में मिताली डांस की प्रैक्टिस भी करती रहती थीं. लेकिन इस चक्कर में दोनों क्षेत्र प्रभावित होने के चलते उनके पिता ने उन्हें क्रिकेट चुनने को कहा.
एक बार मिताली ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था, “मेरे कोच एक कठिन टास्कमास्टर थे. रात में एक के बाद एक राउंड दौड़ाते थे. इसके साथ ही वो चाहते थे कि मैं सूर्योदय से पहले ग्राउंड में पहुंच जाऊं. उनका आइडिया ये था कि जब सूरज उगे तब आपको बैटिंग के लिए तैयार रहना चाहिए. जब गेंदबाज़ आते हैं तो आप तुरंत बल्लेबाजी कर सकते हैं और नेट्स में अतिरिक्त समय पा सकते हैं. मैं लगातार दो घंटे प्रैक्टिस करती थी. प्रैक्टिस के बाद मैं अपना नाश्ता ग्राउंड में ही करती थी और स्कूल के लिए वहीं चेंज करती थी. मेरे डैड मुझे स्कूल छोड़ने जाते थे.” स्कूल के बाद भी मिताली कोच संपत कुमार के अंडर ट्रेनिंग लेती थी, जिन्हें ज्योति प्रसाद ने उन्हें रेफ़र किया था. (Mithali Raj Journey To Cricket)
अपने टैलेंट से घरेलू क्रिकेट में जगह बनाने के बाद, मिताली को 14 साल की उम्र में 1997 क्रिकेट विश्व कप संभावितों में नामित किया गया था. हालांकि, वो फ़ाइनल स्क्वाड में जगह बनाने में विफ़ल रही थीं. 1997 के विश्व कप के बाद जो हुआ वह बिना क्रिकेट का वर्ष था, पैसे की कमी और प्रतिभा की गंभीर कमी के कारण ख़िलाड़ी बाहर हो गए. इस सब के बीच बेहद प्रतिभाशाली मिताली राज आ गईं. उन्होंने साल 1999 में आयरलैंड के खिलाफ़ मैच खेलकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया था. इसके बाद जो हुआ वह निश्चित रूप से एक तूफ़ान था, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. मिताली ने इस मैच में नाबाद 114 रन बनाए और सबको अपने टैलेंट का एक ट्रेलर दिखा दिया. इसके बाद से मिताली ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने अपने नाम ऐसे कई रिकॉर्ड्स पाए, जिसको तोड़ पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. (Mithali Raj Journey To Cricket)
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मिताली राज की सबसे बड़ी उपलब्धियां उनके बनाए गए रन नहीं हैं, लेकिन यह तथ्य है कि उनकी मात्र उपस्थिति टीम में संयम और स्थिरता जोड़ती है. यही वजह है कि संन्यास लेने के बाद क्रिकेट के मैदान में उनकी कमी हमेशा खलेगी.