पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) की ‘फ़र्श से अर्श’ तक पहुंचने की कहानी तो आपने सुनी ही होगी. धोनी, झारखंड की राजधानी रांची के एक बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके पिता पान सिंह धोनी रांची में ही स्थित ‘मेकॉन लिमिटेड’ नाम की सरकारी कंपनी में कलर्क की नौकरी किया करते थे. साथ ही पान सिंह क्रिकेट के प्रति अपने प्रेम के लिए भी जाने जाते थे और एक विकेटकीपर के रूप में मेकॉन कंपनी की क्रिकेट टीम के लिए भी खेला करते थे. मतलब ये कि धोनी को क्रिकेट जेनेटिकली मिला है.

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महेंद्र सिंह धोनी को क्रिकेटर बनाने के पीछे उनकी मेहनत के साथ-साथ उनकी बड़ी बहन जयंती धोनी का हाथ भी रहा है. वो जयंती ही थीं जिन्होंने सबसे पहले माही के अंदर क्रिकेट के प्रति बेशुमार प्यार देखा था. जयंती ने ही माही को उसके सपने का पीछा करने की सीख दी थी. माता-पिता माही के सरकारी नौकरी के पक्ष में थे, लेकिन घरवालों की मनाही के बावजूद जयंती ने हर मोड़ पर अपने भाई का साथ दिया. आज अगर धोनी को दुनिया उनके शानदार खेल के लिए जानती है तो इसके पीछे की असल वजह उनकी बहन हैं.

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धोनी के क्रिकेटर बनने में रहा इस दोस्त का हाथ

ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि ‘हर क़ामयाब इंसान की सफलता के पीछे किसी ना किसी का हाथ ज़रूर होता है’. ठीक इसी तरह महेंद्र सिंह धोनी की सफ़लता में केवल उनकी और उनके परिवार वालों की मेहनत ही नहीं, बल्कि उनके जिगरी यारों का साथ भी रहा है. धोनी की इस जर्नी में उनके कई दोस्त शामिल थे, उनकी ज़िंदगी पर बनी फ़िल्म M.S. Dhoni: The Untold Story में आपने उनके बचपन के दोस्त ‘सरदारजी’ की कहानी देखी होगी! आज हम आपको महेंद्र सिंह धोनी के उसी जिगरी यार परमजीत सिंह (Paramjit Singh) की बात करने जा रहे हैं.

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‘माही’ का जिगरी यार ‘परम’

दोस्त वो नहीं जो सिर्फ़ ख़ुशी के मौक़े पर हमारे साथ रहे, बल्कि सच्चा दोस्त वो है जो मुश्किल वक़्त में हमारा साथ निभाए. कुछ इसी तरह की दोस्ती एम.एस. धोनी और परमजीत सिंह की भी है. रांची के रहने वाले परम और माही जिगरी यार हैं. धोनी जब स्कूल-कॉलेज लेवल पर क्रिकेट खेला करते थे, परमजीत तभी से ही उनकी बैटिंग के कायल थे. माही की तरह ही परम को भी को क्रिकेट से बेशुमार प्यार था, इसलिए वो धोनी की प्रतिभा को बेकार नहीं जाने देना चाहते थे.

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दरअसल, परमजीत सिंह ख़ुद भी एक क्रिकेटर हुआ करते थे और धोनी उनके जूनियर थे. लेकिन वो किसी कारणवश क्रिकेटर नहीं बन पाए और रांची में अपनी स्पोर्ट्स सप्लाई की दुकान चलाने लगे. परमजीत सिंह उस वक़्त रांची में ‘प्राइम स्पोर्ट्स’ नाम की एक छोटी सी दुकान चलाया करते थे, जिसे वो आज भी चला रहे हैं. धोनी उस वक़्त अपनी ‘स्पोर्ट्स किट’ इसी दुकान से ख़रीदा करते थे. दोस्त होने के नाते परम उन्हें फ़्री में बैट समेत अन्य स्पोर्ट्स सामन दे दिया करते थे.

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परमजीत सिंह को एहसास हो गया था कि ये लड़का एक दिन ज़रूर कुछ बड़ा करेगा. इसलिए उन्होंने हर कदम पर अपने जिगरी यार माही का साथ निभाया. महेंद्र सिंह धोनी को जब कोई जनता तक नहीं था तब परमजीत सिंह ने एम.एस. धोनी को उनका पहला बैट और क्रिकेट किट स्पॉन्सरशिप दिलवाया था. इसके लिए वो 6 महीने तक जालंधर और रांची के बीच एड़ियां घिसते रहे और आख़िरकार धोनी को बैट बनाने वाली कंपनी BAS से उन्हें पहला स्पॉन्सर दिलाया.

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परमजीत सिंह ने इसके बाद भी महेंद्र सिंह धोनी को जब-जब पैसों की ज़रूरत होती उन्हें पैसे देकर उनके क्रिकेट खेलने के सफ़र को आगे बढ़ाया. परम और माही का ये याराना दिल छू लेने वाला है. ये दोनों आज भी जिगरी यार हैं और अक्सर मिलते रहते हैं.

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