Sonam Yadav Cricketer: उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद की रहने वाली सोनम के पिता कांच की एक फ़ैक्ट्री में काम करते हैं. जब उन्हें लगा कि उनकी मासिक पगार 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी सोनम के सपनों को पूरा करने के लिए काफ़ी नहीं है तो उन्होंने दो शिफ़्टों में काम करना शुरू कर दिया. पिता की मेहनत में हाथ बटाने के लिए सोनम के भाई ने पढ़ाई छोड़ दी और नौकरी करने लगा.
लेकिन आज सोनम की उपलब्धियों पर ना सिर्फ़ उनके परिवार और गांव वाले गर्व महसूस कर रहे हैं, बल्कि महिला प्रीमियर लीग (WPL) में चयन से मिली धनराशि ने सोनम को अपने परिवार की जिंदगी बदल देने का सपना दे दिया है. उन्हें मिलने वाली रकम पुरुषों के IPL के सामने तो बौनी है, लेकिन उनके पिता की मासिक पगार से 100 गुना ज्यादा है.
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परिवार का संघर्ष
सोनम का गांव अक्सर बिजली चले जाने से अंधेरे में डूब जाता है और वहां नल का पानी हाल ही में नसीब हुआ है. लेकिन जब उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए उस दिन गांव में जश्न मनाया गया. वो प्रतियोगिता में शामिल की जाने वाली सबसे युवा खिलाड़ी हैं.
सोनम कहती हैं,
मेरे पिता की तनख्वाह में परिवार का बहुत मुश्किल से गुजारा हो पाता है. हमें पैसों को लेकर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
उन्होंने आगे कहा,
मेरे कई सपने हैं. मैं अपने परिवार को बाहर खाना खिलाने ले जाना चाहती हूं और अपने पिता को एक बड़ी गाड़ी देना चाहती हूं.
सोनम के घर के पास ही एक खुला नाला है और उनके परिवार को अक्सर चूहों और आवारा कुत्तों के हमलों का भी सामना करना पड़ता है. उनके जर्जर घर की दीवारों से पपड़ी झड़ रही है लेकिन उन्हीं दीवारों को सोनम की चमचमाती हुई ट्रॉफ़ियां और मोमेंटो जैसे नई जिंदगी दे रही हैं.
53 साल के उनके पिता मुकेश कुमार कहते हैं,
हमारे पास क्रिकेट का महंगा सामान खरीदने के पैसे नहीं थे. उसके पास तो सही जूते भी नहीं थे. एक बार एक प्रतियोगिताके ट्रायल में जाने के लिए उसे जूते किसी से उधार लेने पड़े थे. लेकिन सोनम अब अपने और अपने परिवार के हालात को पूरी तरह से बदल देने के लिए तैयार हैं.
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उनके कोच रवि यादव उनकी लगन को याद करते हुए कहते हैं,
चाहे रविवार हो या कोई भी और दिन, चाहे बारिश हो रही यो या कड़ी धूप हो, ऐसा कभी नहीं हुआ कि वो प्रैक्टिस के लिए ना आई हो. वो बहुत मेहनती और अनुशासन-बद्ध है. उसका भविष्य बहुत उज्जवल है.
WPL शनिवार चार मार्च को शुरू होगी और वह ठीक उसी तरह दुनिया भर में महिला क्रिकेट को बदल सकती है जिस तरह आईपीएल ने पुरुषों के क्रिकेट को बदल दिया. BCCI ने जनवरी में पांच शुरुआती टीमों के लिए फ्रैंचाइजी राइट 57.25 करोड़ रुपयों में नीलाम किए. पहले पांच सीजनों के लिए मीडिया राइट को 11.6 करोड़ में बेचा गया.
बदल दिया नजरिया
इन दो सौदों की बदौलत ये दुनिया की दूसरे सबसे ज़्यादा कीमती महिला स्पोर्टिंग लीग बन गई. पहले नंबर पर अमेरिका की WNBA बास्केटबॉल है. रवि यादव कहते हैं,
WPL महिला क्रिकेट को जबरदस्त रूप से बदल देगी. बीसीसीआई पुरुषों और महिलाओं के लिए बराबर वेतन भी ले कर आ गया है तो इसका भी बहुत बड़ा असर होगा.
सोनम को लोकप्रियता पहली बार तब मिली जब वो जनवरी में भारत की अंडर-19 टीम में शामिल हो कर विश्व कप खेलने दक्षिण अफ्रीका गईं. भारत ने कप जीत लिया और पूरी टीम को बहुत सराहना मिली. सोनम के परिवार ने उनको खेलते हुए देखने के लिए किराए पर टीवी लिया.
जब वो वापस आईं तो उन्हें हीरो जैसा स्वागत दिया गया. प्रशंसकों ने भारत के झंडे लहराए और आतिशबाजी की. यहां तक की जिलाधिकारियों ने भी सोनम को बधाई दी. उनके पिता ने बताया,
उस दिन हमें उस पर बहुत गर्व महसूस हुआ. गांव वाले हमें तुच्छ समझते थे, लेकिन अब वो भी उसकी उपलब्धियों पर गर्व महसूस करते हैं.
वो कहती हैं,
मुझे सीनियर खिलाड़ियों के साथ खेल कर बहुत कुछ सीखने को मिलेगा. मैं बस यही चाहती हूं कि मैं एक दिन राष्ट्रीय सीनियर टीम के लिए खेलूं और अपने परिवार को एक अच्छी जिंदगी दे सकूं.
चॉकलेट और आइस क्रीम पसंद करने वाली सोनम खुद पुरुषों की राष्ट्रीय टीम के बाएं हाथ के स्पिनर रवींद्र जडेजा की बहुत बड़ी प्रशंसक हैं. उन्हें उम्मीद है कि डब्ल्यूपीएल उनके लिए महिलाओं की सीनियर टीम के लिए खेलने का सपना पूरा करने का एक पायदान होगा.